मांगलिक दोष : आधुनिक तथ्य

क्या मांगलिक दोष आपको परेशान कर रहा है ? 

Kya manglik dosh aapko pareshan kar raha hai? 

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मांगलिक दोष ज्योतिष शास्त्र में वर्णित एक अशुभ योग है। इस योग की अशुभता  वैवाहिक सम्बन्ध मे बहुत ही कुख्यात है।
यह लेख मांगलिक दोष के विषय मे कुछ तथ्य उजागर करता है एवं नए दृष्टिकोण पर प्रकाश डालता है।
  

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२००९ - १० मे मैं अपनी नौकरी के काम से रांची , झारखण्ड जाया करता था। वहां मेरी एक महिला से भेंट हुई जो की क्लाइंट की कर्मचारी थीं और मेरे साथ काम करने के लिए क्लाइंट की तरफ से नियुक्त थीं।

कई मुलाकातों मे हम थोड़ा खुल गए और काम से हटकर भी बातें हो जातीं थीं। इसी दौरान उनको यह मालूम चला कि मैं ज्योतिष विद्या जानता हूँ।  

तब उन्होने एक पारवारिक समस्या बताई। उनकी बड़ी बहन, जो की सुन्दर, उच्च शिक्षा प्राप्त थीं और उनका परिवार भी संपन्न था, का विवाह नहीं हो रहा था।  कारण था कि  उनकी जन्म कुंडली मे मांगलिक दोष था , यानि वह मंगली थीं।

जहाँ भी उनका रिश्ता होने की बात होती, मंगली के मुद्दे पर बात आगे ही नहीं बढ़ पा रही थी। और कोई मंगली लड़का मिल भी नहीं रहा था। पूरा परिवार परेशान था।

उन्होने अपनी बहन की कुंडली देखने को कहा।

जब मैंने कुंडली देखी तो पाया की ज्योतिषियों ने कई पहलुओं पर ध्यान ही नहीं दिया और मात्र एक बिंदु पर ही कुंडली एवं विवाह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया।

कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया गया था :-


१. मंगल की कुंडली मे स्थिति मांगलिक दोष दिखा रही थी परन्तु कुंडली मे ऐसे कई योग एवं बिंदु थे जो इस दोष का परिहार करते थे।

२. कुंडली मे अन्तर्दशा विवाह संस्कार से सम्बंधित नहीं थी अतः उस अन्तर्दशा मे विवाह नहीं हो सकता था। कुंडली की विवेचना के बाद मैने जो निष्कर्ष निकाले वह परिवार के लिए थोड़े शांतिदायक थे।

१. कुंडली मे विवाह का शुभ योग  था अतः विवाह होना निश्चित था।

२. कुंडली मे सुखी वैवाहिक जीवन के शुभ योग थे अतः उनका विवाह जब भी होना तय था , वह शुभ और मंगलकारी ही होता।

३. विवाह की  समय गणना कर के मैने संभावित समय बता दिया।

४. कुंडली मे शुभता की वृद्धि हो और अशुभ योग आदि का प्रभाव कम किया जा सके , उसके लिए कुछ ज्योतिष उपाय बता दिए जोकि जीवनपर्यन्त करने चाहिए।

साथ ही मैने उनको लिखित मे कारण लिखकर दिए जिसकी वजह से उनकी बहन का विवाह किसी भी सुयोग्य व्यक्ति से शुभ होगा। 

 

२०१० मे मेरा दिल्ली ट्रांसफर हो गया और फिर मेरा उन महिला से संपर्क टूट गया इसलिए मुझको आगे क्या हुआ पता नहीं चला।

यह कहानी अनेकों सनातन धर्मी परिवारों की है जिनके यहाँ विवाह योग्य बच्चों का विवाह मात्र मांगलिक दोष के कारण नहीं हो पा रहा है।

क्या मांगलिक दोष सचमुच इतना अशुभ है ?


इस बात को समझने के लिए हमको मांगलिक दोष की परिभाषा समझनी पड़ेगी।

मांगलिक दोष को मंगल दोष, कुज दोष, और अंगारक दोष भी कहते हैं।

कुंडली मे १२ भाव होते हैं। प्रथम भाव को लग्न कहते हैं। इसी भाव को सभी गणनाओं के लिए केंद्र माना जाता है। जन्म कुंडली का विश्लेषण लग्न को ही केंद्र मान कर किया जाता है। लग्न को प्रथम भाव भी कहते हैं।

यदि मंगल लग्न / प्रथम भाव से १, २, ४, ७, ८ या  १२ मे स्थित होता है तो मांगलिक दोष माना जाता है। ज्योतिष शास्त्री इस दोष को जन्म कुंडली मे चंद्र एवं शुक्र की स्थिति को लग्न मान कर भी देखते हैं।  कुछ विशेषज्ञ पंचम भाव मे मंगल की स्थिति को भी मांगलिक दोष की श्रेणी मे मानते हैं।

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मांगलिक दोष की कुंडली मे मंगल की स्थिति

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इस लेख को पढ़ें : ज्योतिष के बारे मे गलत धारणाएं

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मंगल के गुण :


मंगल अग्नि तत्व का ग्रह है।

कुंडली में बलवान मंगल वयक्ति को साहसी, आत्मबलि, पहल करने वाला, नेतृत्व की क्षमता एवं तार्किक बुद्धि का बनाता है।

बलवान मंगल चुंबकिये वयक्तित्व, मुखर, विचारवान, शिष्ट, एवं प्रभुत्व के गुण देता है।

कुंडली मे निर्बल मंगल वयक्ति को दब्बू या अत्यधिक क्रोधी, डरपोक या अत्यधिक आत्मविश्वासी , निर्णय लेने की कमजोर क्षमता या जल्दबाज़ी मे गलत निर्णय लेने वाला , झगड़ालू, बिना सोचे समझे बोलने वाला, आदि बनाता है।

निर्बल मंगल चोट एवं आग / अग्नि तत्व की वस्तुओं से हानि भी दिखाता है।

मांगलिक दोष के विषय मे जनमानस की धारणाएं :


मंगल की दोषपूर्ण स्थिति उपरिलिखित वयक्तित्व दोष देता है। परन्तु, जनमानस मे मंगल दोष को लेकर सिर्फ विवाह के सम्बन्ध मे ही भ्रांतियां हैं।


मांगलिक दोष को लेकर कुछ और भी भ्रांतिया हैं , जैसे :


१. यदि मांगलिक दोष के व्यक्ति का विवाह गैर मांगलिक दोष के वयक्ति से हो जाये तो दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाएगी या वैवाहिक जीवन मे वैमनस्य या अलगाव / तलाक हो जाता है।

२. आंशिक मंगली

३. दोहरा मंगली (डबल मंगली)

४. २८ वर्ष की आयु के बाद मांगलिक दोष निर्बल या निष्क्रिय हो जाता है।

मांगलिक दोष के उपाय :

 ज्योतिष शास्त्री मंगल दोष के लिए कई उपाय सुझाते हैं :

१. वर वधू दोनों मांगलिक हों।
२. मंगल व्रत (उपवास)
३. कुम्भ विवाह
४. पीपल विवाह आदि

मांगलिक दोष पर मेरा अनुभव ;


१. यदि मंगल ६ - ८ - १२ भाव का स्वामी है या इन स्थानों मे से किसी एक पर स्थित है , या इन भावों के स्वामियों के द्वारा, राहु या केतु से  दृष्ट है या युति (साथ बैठा है), नवमांश मे ख़राब स्थिति मे है तो मंगल अशुभ फल देगा और जिन भावों से ऐसा मंगल सम्बन्ध बनाता है उन भावों के फलों की हानि करता है।

फिर इस स्थिति का मंगल विवाह , स्वास्थ , धन , नौकरी , व्यवसाय, सामाजिक जीवन आदि कई क्षेत्रों की हानि दर्शाता है।

२. इसीलिए मैं मंगल की स्थिति का जन्म कुंडली मे विश्लेषण करता हूँ। लड़के और लड़की की कुंडली की अलग अलग विवेचना करता हूँ।

३. मांगलिक दोष का कुंडली मे ख़त्म भी होता है। ज्योतिष शास्त्र मे कई ऐसे दोष बताये गए हैं जो मांगलिक दोष को निष्प्रभावी करते हैं। ऐसे योगों की विवेचना अनिवार्य है।

४. लड़के और लड़की की कुंडली मे सुखी वैवाहिक जीवन की अलग अलग विवेचना करनी चाहिए। यदि कुछ अड़चन है तो यह देखना भी हितकारी होता है कि  क्या कुछ ज्योतिष उपाय हैं जिनसे यह अड़चनों के प्रभाव को क्षीण किया जा सके ?


 प्रश्न ज्योतिष :


उपरिलिखित तरीके को सत्यापित करने के लिए मैं प्रश्न ज्योतिष की भी सहायता लेता हूँ।

आधुनिक ज्योतिष मे मांगलिक दोष पर कई शोध किये गए हैं और यह निष्कर्ष निकला गया है और मेरे अनुभव मे भी यही है कि, यदि उपरिलिखित तरीके से कुंडली मिलान किया जाये तो ज्योतिष शास्त्री हमेशा सही नतीजे पर ही पहुंचेगे और सही मार्गदर्शन करेंगे।

और अंत मे :


मैं सभी पाठकों को सलाह देना चाहूंगा कि इस दोष से बेवजह न डरें।

ऐसे बहुत सारे विवाहित जोड़े हैं जिनमे से किसी एक की कुंडली मे परिभाषा के अनुसार मांगलिक दोष हैं परन्तु वह लोग सुखी वैवाहिक जीवन जी रहे हैं।

विवाह वैसे भी कार्मिक बंधन है। अतः सही ज्योतिष विश्लेषण कराइये और जीवन का भरपूर आनंद लीजिये।

शुभेक्षा,
अनुरोध
 
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