क्या ज्योतिष भाग्यवादी बना देती है ?


 अक्सर यह बहस सुंनने को मिल जाती है कि ज्योतिष मनुष्य को भाग्यवादी बनाती है| यह कर्म से विमुख कर के मनुष्य को गुमराह करती है|

वैसे तो हर व्यक्ति अपनी स्वयं की सोच रखने के लिए स्वतंत्र है परन्तु कोई भी सोच अधूरी,एवं त्रुटिपूर्ण जानकारी पर आधारित होती है तो  वह भ्रम पैदा करती है और, भ्रम हानिकारक होता है | ज्योतिष पर विश्वाश करना  करना एक बात है परन्तु इसको एक त्रुटिपूर्ण विषय बताना गलत है | यह वैसा ही है कि इस संसार मे कई प्रकार की पूजा एवं धर्म प्रचलित हैं और उनके अनेको अनेक अनुयायी  हैं परन्तु,यदि हमको एक विशेष धर्म या पूजा विधि का पूर्ण ज्ञान नहीं है तो उसको अवैज्ञानिक, आडम्बरपूर्ण अथवा कोई और दोष देने  लगे तो यह अन्याय होगा |

यह  लेख मेरा एक प्रयास है की ज्योतिष शास्त्र के सत्य स्वरुप को उजागर कर सकूँ | 





. क्या ज्योतिष एक विज्ञानं है ?

विकिपीडिया के अनुसार :

विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते है।
(https://hi.wikipedia.org/wiki/विज्ञानं)

इस परिभाषा के अनुसार ज्योतिष शाश्त्र भी विज्ञानं की श्रेणी मे आता है क्योंकि यह भी मानव जीवन और उसके विभिन्न आयामों का अध्यन करता है| यह अध्यन एक कर्मबद्ध एवं प्रयोग आधारित व्यवस्था है और युगों के अध्धयन एवं अवलोकन के पश्च्यात इस विषय के सिद्धांत बनाये गए हैं | यह अनुसन्धान हर समय जारी है |

परन्तु यदि आप इसको किसी प्रयोगशाला मे जा कर कोई मशीन या किसी उपकरण के माध्यम से मापने का प्रयास करेंगे तो यह आपकी उस आशा पर खरा नहीं उतरेगा | जैसे , विज्ञानं यह नहीं बता सकता की सपने मे कई बार भविष्य की घटना कैसे दिखाई पड़ जाती है, जिनको हम पूर्वाभासी स्वप्न कहते हैं ? सहज बोध (intuition) क्यों होता है ? हम ऐसे कई तथ्य हैं जिनका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं दे सकते परन्तु इनको नकार नहीं सकते | ऐसे कई तथ्यों पर अनुसन्धान हुए हैं और चल रहे हैं और कुछ सिंद्धांत आदि की खोज भी चल रही है परन्तु कुछ भी प्रमाणित नहीं कर सकते, सिर्फ हम अनुभव कर सकते हैं |  

मेरा अपना मत है कि ज्योतिष शाश्त्र को हम आधुनिक विज्ञानं की परिभाषा मे गढ़ कर नहीं समझ सकते| इसको समझने के किये पहले हमको अध्यात्म के पहलु को समझना होगा,उसके बाद हमको इस ब्रह्माण्ड को एक ऊर्जा क्षेत्र के रूप में देखना होगा और, ग्रह,राशि एवं नक्षत्र आदि इस ऊर्जा क्षेत्र को किस प्रकार से प्रदर्शित करती हैं, समझना होगा |


ज्योतिष का भ्रम :

अधिकांश तार्किक व्यक्ति ज्योतिष के विषय मे समझते हैं कि  सौर मंडल के गृह लाखों किलोमीटर की दूरी से हमको किस प्रकार से प्रभावित कर सकते हैं ? मेरा भी यही सोचना है | और जब आज मानव चंद्र, मंगल एवं अंतरिक्ष के सुदूर बिंदुओं तक पहुँच रहा है तो यह निर्जीव ग्रह हमको किस प्रकार प्रभावित करते हैं ?

मेरा मत :

 आध्यात्मिक रूप से हमको साकार (form) और निराकार (formless) को समझना होगा | साकार को हम अपनी इन्द्रियों द्वारा अनुभव कर सकते हैं जैसे वायु, रंग , जल, मिटटी, आदि | साकार को समय और स्पेस  मे मापा जा सकता है |

आधुनिक विज्ञानं आत्मा की अवधारणा का खंडन करता है | आत्मा को समय और स्पेस की सीमा मे मापा नहीं जा सकता | आत्मा निराकार है | निराकार समय एवं स्पेस से परे है| हर वह अवधारणा जो समय एवं स्पेस मे नहीं मापी जा सकती ,निराकार है| विज्ञानं नहीं बता सकता की जन्म पूर्व एवं मृत्यु पश्च्यात हमारा क्या होता है |

आध्यात्मिक सत्य एवं तथ्य यह है कि हम निराकार से साकार एवं वापस निराकार मे चले जाते हैं | हम साकार के माध्यम से निराकार को अनुभव करते हैं | जैसे , भोजन साकार है परन्तु उसका स्वाद निराकार है | चित्र साकार है परन्तु उसकी कला की सुंदरता निराकार है |इसी प्रकार शरीर साकार है परन्तु आत्मा निराकार है और,यह समय और स्पेस से बाहर है |
जन्म लेने का कारण साकार स्वरुप से अपने निराकार स्वरुप का ज्ञान है |

. आत्मा स्वरुप हम एक अनंत यात्रा पर हैं और पृथ्वी पर जन्म लेते हैं | यह हमारी कार्मिक यात्रा है | कर्म के विषय पर अलग से लेख लिखूंगा |
इस पूरी कार्मिक यात्रा मे हम निराकार को गहन रूप से समझ रहे हैं | और यह समझने की प्रक्रिया अनंत है |

. यह पूरा ब्रह्माण्ड ऊर्जा का स्वरुप है | हम भी इसका एक हिस्सा हैं और हम भी ऊर्जा का ही स्वरुप हैं | हमारा जन्म एवं हमारी मृत्यु दोनों घटना ऊर्जा रूपांतरण हैं | एक जन्म मे हम जो भी निराकार जीवन स्वरुप जीने आये हैं वह हमारी जींस मे हमको साकार स्वरुप मिलता है | यानि हम एक अनुपम (unique) ऊर्जा स्वरुप (energy  configuration)  हैं और यह एक ब्रह्मांडीय घटना है |

. ग्रह , राशियां एवं नक्षत्र की स्थिति  इस ऊर्जा क्षेत्र मे इस ब्रह्मांडीय घटना को प्रीतिबिम्बित करती है| जन्म की इस घटना के क्षण ग्रहों की सौर मंडल मे स्थिति जनम कुंडली मे अंकित कर ली  जाती है |

इस कुंडली के अध्ययन, और उसे सम्बंधित सिद्धांतों को स्थापित करना ज्योतिष शाश्त्र का काम है |

इस महान आध्यात्मिक विद्या के साथ कुछ कमियां रही है और वह अभी भी जारी है तभी यदा कदा इस की प्रमाणिकता पर प्रश्न चिन्ह लगते हैं |

. ज्योतिषी का इस विद्या का गलत तरह से जनता के सामने प्रस्तुत करना |अधिकांश ज्योतिषियों की इस शाश्त्र की समझ बहुत ही काम या गलत है | इस विद्या से लालच या डर पैदा करके लोगो को भ्रमित किया गया है |

. ज्योतिष द्वारा अबतक की गई  सही भविष्यवाणियों एवं खोजों के आकड़ों का ना होना |

. जीवन बहुत बदल गया है परन्तु अधिकांश ज्योतिष अभी भी पुराने सिद्धांतों एवं मतों पर टिके हैं| आगे इस प्रकार के सिद्धांतों पर मे लेख लिखूंगा |

तो ज्योतिष भाग्यवादी एवं अकर्मठ बनाती है?

जी हाँ ! यह भाग्य के सहारे अकर्मठ मनुष्य बनाती है अगर किसी ऐसे व्यक्ति से परामर्श ली गयी जो विषय को समझता नहीं और अधूरा  या विकृत ज्ञान के सहारे खुद भी भ्रम में है और भ्रम फैला रहा है |

ज्योतिष शाश्त्र मानव के मार्गदर्शन के लिए है |  

वर्तमान जीवन मे उसका आध्यत्मिक उद्देश्य क्या है और किस प्रकार वह उस उद्देश्य की प्राप्ति कर सकता है ,एक अच्छा ज्योतिषी भली भांति मार्ग दर्शन कर सकता है |

आज के लिए बस इतना ही मित्रों | आगे लेखों मे इस विषय मे और ज्यादा चर्चा करेंगे | कोई प्रश्न हो या कोई मत/सुझाव हो तो अवश्य दीजिये।  

अगले  लेख  में आत्मा की कार्मिक यात्रा एवं ज्योतिष की भूमिका पर बात करेंगे।  


शुभेक्षा,  

अनुरोध 

संपर्क  :
krisa.advisor@gmail.com 


चित्र सहयोग : गूगल इमेज (कॉपीराइट फ्री )

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